मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना के तहत आवेदन करने के लिए उम्मीदवार को 17 से 35 वर्ष की आयु के बीच होना चाहिए और उन्हें 10वीं / 12वीं कक्षा या इसके समकक्ष उत्तीर्ण होना आवश्यक है। यह योजना विशेष रूप से एससी, एसटी, ओबीसी, एमबीसी, और अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर शुरू की गई है, ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए शुल्क रहित कोचिंग प्राप्त कर सकें। इस योजना का लाभ उन्हीं विद्यार्थियों को मिलेगा, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 8 लाख रुपये या उससे कम है। इसके साथ ही, उम्मीदवार को राजस्थान का स्थायी निवासी होना चाहिए
मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवार को कुछ आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होते हैं। सबसे पहले, उम्मीदवार को अपनी शैक्षिक योग्यता का प्रमाणपत्र, जैसे कि 10वीं और 12वीं कक्षा का अंक पत्र, जमा करना होगा। इसके अलावा, आवेदनकर्ता को आय प्रमाण पत्र भी आवश्यक होगा, जिसमें यह दर्शाया जाए कि उनके माता-पिता की वार्षिक आय 8 लाख रुपये या इससे कम है। उम्मीदवार को जाति प्रमाणपत्र (यदि वे एससी, एसटी, ओबीसी या अन्य आरक्षित वर्ग के हैं) और राजस्थान राज्य का निवासी होने का प्रमाण पत्र भी देना आवश्यक होगा। इसके साथ ही, आधार कार्ड और पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ जैसी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी दस्तावेज़ों के रूप में संलग्न करनी होती है। ये सभी दस्तावेज़ योजना के लिए आवेदन करते समय जरूटी होते हैं।
मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना के तहत आवेदन करने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। यह योजनापूरी तरह से निःशुल्क है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता वाली कोचिंग सेवाएं प्रदान करना है, ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं, जैसे जेईई, नीट, आदि की तैयारी कर सकें। राज्य सरकार द्वारा यह योजना उन विद्यार्थियों के लिए बनाई गई है, जो फीस का खर्च वहन करने में सक्षम नहीं हैं, और इसके माध्यम से उन्हें पूरी तरह से मुफ्त कोचिंग मिलती है। इसलिए इस योजना में आवेदन करने के लिए विद्यार्थियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना के अंतर्गत कोचिंग मुख्य रूप से हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रदान की जाती है। योजना का उद्देश्य विद्यार्थियों को बेहतर तरीके से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराना है, चाहे वे किसी भी क्षेत्र से हों। इस कारण, दोनों भाषाओं में पाठ्यक्रम और सामग्री उपलब्ध कराई जाती है, ताकि हर छात्र अपनी भाषा में आसानी से समझ सके और अधिक प्रभावी ढंग से तैयारी कर सके।